Thursday, February 14, 2008

आख़िर क्या बला हैं ये गैर सरकारी संगठन (२)

भाग- २(पिछले अंक से जारी)
अगले चरण में प्रत्यक्ष औपनिवेशिक शासन की समाप्ति के बाद यानि नव उपनिवेशवाद के चरण में पूरे विश्व भर में गैर सरकारी संगठनों की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई। इस काल में अमरीकी गैर सरकारी संगठनों की भूमिका यूरोपीय गैर सरकारी संगठनों से ज़्यादा हो गई चूंकि अमरीका के पास फिलीपींस को छोड़कर कोई अन्य उपनिवेश नहीं था, और चूंकि अन्य औपनिवेशिक शक्तियों के प्रति उनके पूर्व उपनिवेशों में आमतौर पर नफ़रत की भावना थी। अतः प्रत्यक्ष औपनिवेशिक शासन की समाप्ति के बाद अमरीका आसानी के साथ इन देशों में घुसपैठ कर गया। अन्य साम्राज्यवादी शक्तियों की तुलना में जो दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान कमज़ोर हो चुकी थीं, अमरीका की ताक़त अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए एक अनुकूल तथ्य था। अतः अमरीकी पूँजी के साथ - साथ गैर सरकारी संगठन भी एशिया, अफ्रीका और लातिन अमरीका के लगभग हर देश में घुस गए। सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य जिसने अमरीकी गैर सरकारी संगठनों की वृद्धि में उत्प्रेरक का काम किया, वह था कम्युनिज्म की चुनौती को रोकना जो बहुत सारे देशों के सामने मौजूद थी। कम्युनिज्म की चुनौती का मुकाबला करने के लिए वैचारिक, राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व अमरीकियों ने अपने हाथ में ले लिया था। हमें यह सुनकर हैरानी होगी कि 1921 के अकाल के दौरान भोजन, कपड़े और दवाइयाँ आदि जिनका मूल्य 50 करोड़ डॉलर के लगभग था, बांटने के लिए अमरीका ने अपने गैर सरकारी संगठन रूस में भेजे थे। अमरीकन रिलीफ एडमिनिस्ट्रेशन क्रांति के बाद के रूस में राहत कार्यों में संलिप्त गैर सरकारी संगठनों में सर्वाधिक सक्रिय था। प्रतिक्रान्तिकारियों की मदद करते हुए रूसी क्रांति को नष्ट करने के अमरीकी साम्राज्यवादियों के सभी प्रयास बुरी तरह विफल हो जाने के बाद ही यह किया गया था। पहले विश्वयुद्ध के बाद आस्ट्रिया और हंगरी में क्रांति को आगे बढ़ने से रोकने के लिए और उन्हें बोल्शेविकवाद से दूर रखने के लिए पहले विश्वयुद्ध के बाद अमरीकी गैर सरकारी संगठनों ने खाद्यान्न की आपूर्ति की थी। सोवियत यूनियन और पूर्वी यूरोपीय देशों में गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से साम्राज्यवादी सहायता भेजने का उद्देश्य पूंजीवादी शक्तियों को मजबूत करना, उन अर्थव्यवस्थाओं को उदार आर्थिक नीतियों की तरफ़ धकेलना और अमरीकी साम्राज्यवाद के बारे में एक अच्छा प्रभाव पैदा करना था। हालांकि आर्थिक कारण तो थे ही। उदाहरण के लिए एआरए द्वारा रूस में भेजा गया 5,40,000 टन अमरीकी खाद्यान्न अमरीकी बाज़ार में खाद्यान्न की कीमतों को टिकाऊ रखने में सहायक सिद्ध हुआ और बदले में समाज सेवक का तमगा तो मिल ही गया। 'काम के बदले अनाज', 'मध्यान्ह भोजनआदि स्कीमों के माध्यम से तीसरी दुनिया के देशों को अमरीका का अतिरिक्त खाद्यान्न स्थानांतरित करने के लिए अमरीकी गैर सरकारी संगठनों ने एक महत्वपूर्ण माध्यम का काम किया है।
क्रमशः अगले अंक में ...

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