Tuesday, May 13, 2008

फोर्ड फाउन डेशन : विदेशी फंडिंग के परिप्रेक्ष्य में एक अध्ययन

दूसरा भाग (गतांक से आगे)

फोर्ड भारत में

फोर्ड फाउनडेशन की नई दिल्ली ऑफिस के वेब पेज के अनुसार -"भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के आमंत्रण पर फाउनडेशन ने 1952 में भारत में एक ऑफिस की स्थापना की।" वास्तव में चेस्टर बाउल्स जो 1951 में भारत में अमरीका के राजदूत थे, ने इस प्रक्रिया की शुरुआत की थी। अमरीकी विदेश नीति की स्थापना में लगे बाउल्स को गहरा धक्का तब लगा जब 'चीन हाथ से निकल गया' (राष्ट्रीय स्तर पर वहां 1949 में कम्युनिस्ट सत्ता में आ गए थे)। इसी तरह वे इस बात से भी दुखी थे कि तेलंगाना में कम्युनिस्टों के नेतृत्व में हुए हथियारबंद आन्दोलन को कुचलने में भरतीय सेना नाकाम रही थी (1946-51) " जब तक कि कम्युनिस्टों ने स्वयं ही हिंसा का रास्ता बदल नहीं लिया। "भारतीय किसानों की अपेक्षा थी कि अंग्रेजी राज की समाप्ति के बाद उनकी इस दीर्घकालीन मांग को पूरा किया जाएगा कि जमीन जोतने वाले को मिलनी चाहिए। और यह दबाव तेलंगाना आन्दोलन की समाप्ति के बाद भी आज भारत में हर कहीं महसूस किया जा सकता है।

पॉल हॉफमैन को जो फोर्ड फाउनडेशन के तत्कालीन अध्यक्ष थे, बाउल्स ने लिखा-"स्थितियां चीन में बदल रही हैं पर यहाँ भारतीय परिस्थितियां स्थिर हैं.....अगर आने वाले चार-पाँच वर्षों में वैषम्य बढ़ता है , या फ़िर अगर चीनी भारतीय सीमाओं को धमकाए बगैर अपना उदारवादी और तर्कसंगत रवैया बनाये रखते हैं .... भारत में कम्युनिस्म का बड़ा भारी विकास हो सकता है। नेहरू की मृत्यु अथवा उनके रिटायरमेंट के पश्चात् यदि एक अराजक स्थिति बनती है तो सम्भव है यहाँ एक ताक़तवर कम्युनिस्ट देश का जन्म हो।" हॉफमैन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए एक मज़बूत भारतीय राज्य की जरूरत पर बल दिया -"एक मज़बूत केन्द्र सरकार का गठन होगा , उग्र कम्युनिस्टों को नियंत्रित किया जाएगा....प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को जनता तथा दूसरे स्वतंत्र (बीमार) देशों से तालमेल, सहानुभूति और मदद की अत्यन्त आवश्यकता है। "

नई दिल्ली ऑफिस फौरन स्थापित किया गया , और फोर्ड फाउन डेशन ने कहा- "यह अमरीका से बाहर फाउन डेशन का पहला कार्यक्रम है और नई दिल्ली ऑफिस इसकी क्षेत्रीय कार्रवाइयों का काफ़ी बड़ा हिस्सा पूरा करेगा। इसका प्रभाव क्षेत्र नेपाल और श्रीलंका तक व्याप्त है।

"फोर्ड फाउन डेशन की गतिविधियों का क्षेत्र तय कर दिया गया ( अमरीकी स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा) है "- जॉर्ज रोजेन लिखते हैं ,- " हमारा अनुभव है कि एक विदेशी (अमरीकी) सरकारी एजेंसी का ...................में काम करना अत्यन्त संवेदनशील मसला है .......दक्षिण एशिया बड़ी तेजी से फाउनडेशन की गतिविधियों के लिए एक संभावित क्षेत्र के रूप में सामने आया है.........भारत और पाकिस्तान दोनों ही चीन की ज़द में हैं और कम्युनिज्म द्वारा निशाने पर लिए हुए प्रतीत होते हैं। इसलिए वे अमरीकी नीतियों के सन्दर्भ में अत्यन्त महत्वपूर्ण बन गए हैं..... । " फोर्ड फाउन डेशन ने भारतीय नीतियों पर आधिपत्य जमा लिया है। रोजेन कहते हैं कि "1950 से लेकर 1960 के बीच विदेशी विशेषज्ञों ने भारतीयों के बनिस्बत उच्च अधिकार हासिल कर लिए हैं ", और फोर्ड फाउनडेशन तथा (फोर्ड फाउनडेशन/सी आई ए फंडेड) एमआईटी सेंटर फॉर इंटरनेशनल स्टडीज "योजना आयोग के आधिकारिक सलाहकार" की तरह कार्य कर रहे हैं। बाउल्स लिखते हैं कि " डगलस एन्समिन्जर के नेतृत्व में , भारत में फोर्ड के कर्मचारी योजना आयोग के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं जो पंचवर्षीय योजनाओं का संचालन करता है। जहाँ भी दरार दिखती है , वे उसे भरते हैं, चाहे वह खेती का, स्वास्थ्य शिक्षा का अथवा प्रशासनिक मामला हो। वे ग्रामीण स्तर के कार्यकर्ता प्रशिक्षण विद्यालयों में साथ जाते हैं, संचालन करते हैं और वित्तीय मदद देते हैं।"

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